संत निळोबा हे महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायातील एक संत होते. ते अहमदनगर जिल्ह्यातील पिंपळनेराचे होते. संत चरित्रकार महीपती यांनी निळोबांविषयी भक्तिविजयाच्या ५९व्या अध्यायात विवेचन केलं असून त्यांच्या विषयीच्या काही आख्यायिकाही सांगितल्या आहे. त्यांचा काळ इ.स.च्या १७ व्या शतकाचा पूर्वार्ध असावा. ते शा.श. १५८० (इ.स. १६५८) सालाच्या सुमारास विद्यमान होते.ते प्रतिवर्षी नाथषष्ठीला पैठणच्या वारीस येत. त्यांनी तुकारामांना गुरुस्थानी मानले होते.निळोबा महाराजांनी बाराशेच्यावर अभंग लिहीले आहेत. सर्व अभंगांतून त्यांनी विठ्ठल भक्ती गायलेली आहे.निळोबा महाराज विठोबाप्रमाणेच कृष्णाची भक्ती करीत. निळोबारायांनी श्रीकृष्ण चरित्र अतिशय उत्तम प्रकारे रचले आहे.निळोबा महाराजांनी बाराशेच्यावर अभंग लिहीले आहेत
Сант Нилоба был святым из секты варкари Махараштры. Он принадлежал Пимпалнаре в Ахмеднагарском районе. Святой персонаж, Махипати, обсуждал ниолобу в 19-й главе Бхактивиджайи, а также рассказывал о нем некоторые легенды. Их время должно было быть первым в 7 веке нашей эры. Они были Он существовал около 8 (9) года. Он приезжает в Наташашти каждый год по случаю Пайтана. Он считал Тукарама гурушанти. Он спел Vitthal Devotion со всех абхангов. Нилобарая очень хорошо сформулировал характер Шри Кришны.